हर देवी-देवता को अलग-अलग फल और फूल क्यों चढ़ाए जाते हैं?

ये सवाल मैंने पहली बार तब सोचा था जब मैं कॉलेज में था। धीरे-धीरे समझ आया कि बात सिर्फ पूजा की नहीं, कुछ और भी गहराई थी। भारत की मूल सोच हमेशा वैदिक रही है। और जैसे हमारी विचारधारा में समय के साथ कई बाहरी तत्व घुसे, वैसे ही हमारी धरती पर भी कई आक्रामक पेड़-पौधे आए — विदेशी, जहरीले, और हमारी औषधीय विरासत को खत्म करने वाले। 1955 में जब अमेरिका से भारत को गेहूं भेजा गया, उसी के साथ एक विदेशी घास भी आई — कांग्रेस घास (Parthenium / गाजर घास)। शायद आपने इसे सड़कों, मैदानों और खाली प्लॉट में उगते देखा हो। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ये घास त्वचा रोग, सांस की एलर्जी फैलाती है और वहाँ की हर दूसरी वनस्पति को नष्ट कर देती है। Punarnava जैसी अमूल्य औषधि जो गांवों में सहज दिखती थी, अब दुर्लभ होती जा रही है। अब सोचिए — क्या हमारे ऋषि-मुनियों को इसका अनुमान नहीं रहा होगा? उन्होंने औषधीय पौधों को धार्मिक भावनाओं से जोड़ दिया, ताकि वो केवल झाड़-फूंक न बनकर रोग निवारण का ज़रिया भी बनें। इसीलिए: गणेश जी को दूर्वा घास चढ़ाई जाती है, जो पाचन और पेशाब की दिक्कतों में लाभदायक होती है। शिव जी को बेलपत्र, आक, धतूरा चढ़ते हैं। बेल एंटी-इंफ्लेमेटरी है। माँ दुर्गा को मोगरा, जो मन को शांति देता है। विष्णु जी को तुलसी, जो इम्यून सिस्टम के लिए रामबाण है। हनुमान जी को चमेली, जिसका तेल दिमाग को शांत करता है। अब लोग पूछते हैं, “पत्ते-पुष्प भगवान को क्यों चढ़ाएं?” भगवान को क्या ज़रूरत? सच तो ये है कि पहले इन चीज़ों को प्रसाद की तरह उपयोग किया जाता था। जब मैं चंडीगढ़ में था, मुझे कहीं बेलपत्र नहीं मिलता था। मैं मंदिर से चढ़े हुए बेल के पत्ते ले आता था और उनका सेवन करता था। आज भी मानता हूँ — ये डबल असर करता है: आध्यात्मिक भी, औषधीय भी। अब ज़रूरत है कि हम अपनी पुरानी परंपराओं को नई नजर से देखें, और उन्हें पाखंड समझने की बजाय प्राकृतिक विज्ञान की तरह समझें। 💡 ऐसे और भी सैकड़ों वैज्ञानिक रहस्य आपको Scientific Sanatan किताब में मिलेंगे। अगर आप जानना चाहते हैं कि हमारी परंपराओं के पीछे क्या गहरा विज्ञान है — तो Scientific Sanatan को ज़रूर पढ़िए। Book available now 👉 https://amzn.to/4lPmjX4 #ScientificSanatan #SanatanDharma #HinduWisdom #VedicScience #SanatanFacts #HinduTraditions #SpiritualScience #SanatanAyurveda #IndianCulture #MedicinalPlantsIndia #SacredPlants #NativePlantsIndia #DharmicWisdom #ScienceBehindTraditions #PartheniumThreat #CongressGrassAwareness #SanatanAndNature #BelPatraBenefits #TulsiMedicinalUses #DharmaAndEcology #Punarnava

Deep Chugh

7/24/20251 min read